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Ward Gyan Panchayat Transcripts


 

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रामजनम: … रोजगार के अवसर हैं और हमारा समाज जैसा है  नफरत इतनी समाज में इतनी तरह से नफरत है  इतने तरह के बंटवारे हैं तो समाज की बात  नहीं है हमारा जो पर्यावरण है हमारे हमारे  आसपास हवा पानी सब मतलब आज की तारीख में  हमारे जीने लायक नहीं है तो ऐसे समय में  हम लोगों को लगा कि ये जो व्यवस्था चल रही  है कहीं ना कहीं इस व्यवस्था में ही कोई  चीज है  जिसके चलते हम हमको जो खुशहाली मिलनी  चाहिए हमारे समाज को जो खुशहाली मिलनी  चाहिए नहीं मिल रही है तो अब जैसे हम कोई  नई व्यवस्था नहीं बनाने जा रहे हैं लेकिन  हम कुछ नए अंदाज में नए तौर तरीके से  चीजें रखना चाहते हैं समाज के लिए समाज से  मिलके रखना चाहते नहीं केवल अपनी बात नहीं  रखना चाहते समाज भी जैसे आप हमारे साथी  बताए होंगे हमारा मानना है इस देश में  श्रम की बात बहुत होती है भाई इतनी मेहनत  करता है किसान इतनी मेहनत करता है लेकिन  उसको उसके मेहनत का माकूल दाम नहीं मिलता  है लेकिन हम लोग इसमें एक और चीज जोड़ रहे  हैं नए अंदाज का मतलब यही है कि केवल  किसान श्रम नहीं करता केवल उनका श्रम नहीं  करता बल्कि अपने ज्ञान का भी इस्तेमाल  करता है उसके श्रम को भी लूटा जाता है  उसके ज्ञान को भी लूटा जाता है उसको ये जो  आज की तारीख में जो  हमारा विशिष्ट समाज है उसके ज्ञान को  ज्ञान नहीं मानता वो यूनिवर्सिटीियों के  ज्ञान को कागजी ज्ञान को ज्ञान मानता है  लेकिन वो जो अपने  परंपरागत बाप दादे से जो चीज सीखा है भाई  किसान खेती करना किससे सीखा अपने बाप से  सीखा अपने परिवार से सीखा बुनकर यह बुनकर  ही करना किससे सीखा अपने परिवार से सीखा  तो हम लोगों का मानना है कि वो भी एक  ज्ञान है यूनिवर्सिटी का भी ज्ञान है हम  उसको ज्ञान मानते हैं लेकिन ये प्रैक्टिकल  ज्ञान है ये समाज के काम आ रहा है समाज के  उत्पादन के काम में आ रहा है समाज को  कपड़ा देता है किसान का ज्ञान समाज को  अनाज देता है जिससे सबसे भरता है वो सबसे  मूलभूत चीजें समाज को देता है तो कैसे  कितना पीछे है भाई बुनकर की जो हालत है  किसान की भी वही हालत है  बुनकर की जो हालत है सेम किसान किसान का  इतना है कि उसको थोड़ा खुला हवा पानी  मिलता है बुनकर बेचारे को वो भी नहीं बस  यही तो और एक चीज इस जो इस दौर में देखिए  ना ये जो बुनकर हो किसान हो या छोटा  कारीगर कोई भी हो जो सामान बेचता है वो  सस्ते में बेचता है और जो सामान खरीदता है  बाजार से वो महंगे आप कपड़ा अपना सस्ते  में बेच रहे हैं आपका उसमें मजदूरी भी  नहीं निकल रही है जैसे 500 मजदूरी हम रोज  जोड़े तो आप जो कपड़ा बनाते हैं उसमें 1500  नहीं मिल रहा है 700 800 500 मिल रहा है  जिसमें 150 200 350 मजदूरी हुई किसान की  भी वही हालत है वो उत्पादन कर रहा है उस  उत्पादन से उसका श्रम का वो नहीं है तो हम  लोग दो एक अंदाज खोजे इसमें एक अंदाज नया  जोड़े ज्ञान की बात और आप लोगों से चाहते  हैं क्योंकि हमारे देश में लोग मान बैठे  हैं कि समाजों के पास कुछ नहीं है समाजों  के पास अब कुछ नहीं है सब कुछ मशीनों के  पास है और बड़े लोगों के पास है कि जो  उत्पादक समाज है जो पैदा करता है जो  हिंदुस्तान को चलाता है जिसके बल पे  हिंदुस्तान चलता है अरे भाई कारीगर और  किसान के बल पे हिंदुस्तान चल रहा है ना  कि पूंजीपति के बल पर चल रहा है चल तो देश  रहा है …


 

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लक्ष्मण: … हम आधार बताते हैं कि इसमें कुछ और भी काम  करने होंगे जो हमारे आंदोलन और संघर्ष के  काम है वह तो जो भी जरूरत जैसा होगा वैसा  होगा ही यहां पर भाईचारा कमेटी बने जो कि  आपस में प्रेम व्यवहार की कहानियों को  सुनाए कहानियों को गढ़े अब तो इस समय नफरत  की ही बातें चारों तरफ चल रही है अगर हम  प्रेम मोहब्बत की भी बातें कुछ लोगों को  सुना सके तो एक नई चीज होगी तो उसकी एक  छोटी कमेटी बननी चाहिए और इसके साथसाथ एक  हमारी कमेट ऐसी भी हो जिसमें  कि हम जो है एक ऐसा यहां का लिस्ट तैयार  करें एक सूची तैयार करें कि इस जलालीपुर  वार्ड में कितने तरह के ज्ञानी रहते हैं  वो 25 तरह के ज्ञानी है 50 तरह के ज्ञानी  है और उनके नाम बकायदा नाम ये व्यक्ति हैं  और इस तरह का काम करते हैं तो ये हमारी  ताकत होगी कि हमारे साथ इतने तरह के  ज्ञानी लोग हैं उसी तरह से हम सलाहपुर में  जो अपना ये वार्ड ज्ञान पंचायत चलाते हैं  वहां के ज्ञानियों की एक सूची बनाए तो ये  ये कार्य करने से हमारे संगठन का ढांचा  थोड़ा मजबूत होगा और हमारे संगठन का ढांचा  मजबूत होगा और दो वार्ड के लोग हम कम से  कम अभी शुरुआती दौर में होंगे तो आगे ये  संगठन को बढ़ाने में काफी सहूलियत होगी  काफी आसानी होगी और मिलजुल के किसी लड़ाई  को लड़ा जाएगा कोई अकेला अपने आप को नहीं  महसूस करेगा अह जो आंदोलन चला किसान  आंदोलन उसने पूरे देश को पूरे दुनिया को  एक रास्ता दिखा दिया कि अगर हम लोग एकजुट  हो जाए तो बड़ी से बड़ी आतताई शक्तियों को  भी झुकना पड़ सकता है ज्यादा बात हम ना  करते हुए वार्ड ज्ञान पंचायत इसके मूल को  हम लोग बनाएं इसमें बहुत त्याग और समय  मांगता है इसको हम दें. धन्यवाद!


 

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फज़लुर्रहमान अंसारी: … वार्ड की जन समस्याओं का समाधान कैसे हो, उस वार्ड में रोजगार का साधन कैसे उपलब्ध हो, इन सब लोगों को लेकर उनके साथ मशवरा करकर राय मशवरा करकर कोई बात आए उसको लेकर संबंधित विभाग को पहुंचाना उसका समाधान करना मेन मकसद है आज देखिए हम लोग जो ज्ञान परंपरा की बात करते हैं लोकविद्या की बात करते हैं हमारा जो विचार है उसमें सिर्फ यूनिवर्सिटी ही ज्ञान का केंद्र नहीं है. ज्ञान समाजों में बसता है और समाज जहां भी होता है उसके पास अपना ज्ञान होता है उस ज्ञान को सम्मान दिलाना और उसका दाम दिलाना इस वार्ड ज्ञान पंचायत का यह भी एक मकसद है क्योंकि आज एक ऐसी व्यवस्थाएं ला दी गई है कि सिर्फ यूनिवर्सिटी की जो डिग्री है जो (…) लोग है उन्हीं को ज्ञानी माना जाता है और जो समाज में आज 25 साल 30 साल 70 साल से खेती कर रहा है कारगी कर रहा है और अच्छा अच्छा मकान बना रहा है सब कुछ कर रहा है लेकिन उसके ज्ञान  को जीरो माना जाता है और जो लोग यूनिवर्सिटी से डिग्री ले ले ना ही दाम …


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