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Bahujan Shodh Prastav

विद्या आश्रम शोध कार्यक्रम

प्रस्ताव

1995 से अब तक लोकविद्या विचार और दर्शन पर जितने भी चिंतन, प्रकाशन और संगठनात्मक व  रचनात्मक कार्य हुए हैं वे एक नई विश्वदृष्टि का व्यापक फलक बनाते हैं. सृष्टि और समाज में न्याय, त्याग और भाईचारा पर गढ़ी हुई बुनियादी सत्ता का सत्य ‘लोकविद्या’ और ‘सामान्य जीवन’ के आपसी गतिशील संबंधों में बसा दिखाई देता है. इस सत्य के उजाले में समाज की परिवर्तनकारी शक्तियों की खोज, निर्माण, संवर्धन, नवीनीकरण आदि के प्रयास मनुष्य और मनुष्य समाज की गतिविधियों के उन विविध पक्षों से साक्षात्कार करा सकते हैं, जो एक नई और बेहतर दुनिया को बनाने के आधार होंगे.इस ओर बढ़ने की दृष्टि से एक शोध का विचार पत्र प्रस्तुत है.

अधिकांश विचारों की व्याख्या और सन्दर्भ विद्या आश्रम की वेबसाईट www.vidyaashram.org और लोकविद्या जन आन्दोलन के ब्लॉग www.lokavidyajanandolan.blogspot.com  तथा दर्शन अखाडा के ब्लॉग www.darshanakhadablog.wordpress.com  पर मिलेंगे.


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