चित्रा सहस्रबुद्धे
इस वर्ष देश के किसान-समाज की बदहाल स्थिति और इसके प्रति सरकारों एवं राजनीतिक दलों की बेरुखी और गैर-जिम्मेदाराना रवैया राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना. विद्या आश्रम ने पहल लेकर किसान-समाज के साथ जगह-जगह आय के सवाल पर ज्ञान पंचायतें की. किसान-समाज के हर परिवार को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय मिले तभी यह समाज बदहाली से बाहर निकल सकता है, इस आवाज़ को बुलंद करने का लक्ष्य लोकविद्या जन आन्दोलन ने अपने सामने रखा. मार्च-अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के संदर्भ में इस वर्ष विद्या आश्रम ने सबको सरकारी कर्मचारी के बराबर आय और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर ‘स्वराज के विचार पर समाज में वार्ता और विमर्श’ को एक महत्वपूर्ण कार्य बनाया और ज्ञान पंचायतों में सामने लाने का कार्यक्रम बना. देखें लोजआ ब्लॉग 6 जुलाई 2018 विभिन्न स्थानों पर जाकर इन विषयों को रखा. नीचे कुछ प्रमुख गतिविधियों की चर्चा की गई है. अंत में फोटो संलग्न हैं.
- लोकविद्या जन आन्दोलन :
- मार्च 2018 में वाराणसी में हुए ‘अंग्रेजी हटाओ लोकभाषा बढाओ’ सम्मलेन की आयोजन समिति की बैठक 2 अप्रैल 2019 को विद्या आश्रम पर हुई. बैठक में सम्मलेन के बाद कार्य के लक्ष्य और नीति तय करने के बारे में बात हुई.
- उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रदेश के 5000 प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करने का ऐलान किया जिसके विरोध में शहर के सामाजिक संगठनों ने मिलकर वाराणसी के लहुरावीर चौराहे पर विरोध सभा की जिसमें लोकविद्या जन आन्दोलन की भागीदारी रही.
- 29 अप्रैल 2018 को ग्राम सलारपुर में वाराणसी ज्ञान पंचायत का आयोजन हुआ ‘जिसमें किसान और कारीगर समाजों के हर परिवार में सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’ के विषय पर किसानों और कारीगरों ने अपनी राय रखी. प्रति माह ये ज्ञान पंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया और इन्हें आयोजित किया गया. वर्ष के अंत में सलारपुर में वाराणसी ज्ञान पंचायत के स्थान पर स्थित जगदेव प्रसाद की मूर्ति स्थल का चबूतरा पक्का बनाने में सहयोग किया.
- विद्या आश्रम पर 17 जुलाई को भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय शिविर आयोजित हुआ. लगभग 150 किसानों की भागीदारी के साथ इस शिविर में प्रदेश के कई जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारी शामिल हुए. वर्ष भर भा.कि.यू. के अनेक कार्यक्रमों में विद्या आश्रम का सहयोग रहा और वाराणसी जिले के किसानों के साथ अनेक कार्यक्रमों में भागीदारी हुई. 8 अप्रैल को वाराणसी मण्डल इकाई की चंदौली में बैठक हुई जिसमें संगठन और कार्यनीति पर विचार हुआ. प्रदेश संगठन की लखनऊ बैठक में वाराणसी मण्डल की भागीदारी हुई. 25 जुलाई को गाँव महरखां, चंदौली में हुई किसान पंचायत में चंदौली भा.कि.यू. की जिला इकाई के लिए अध्यक्ष का चुनाव हुआ जिसमें वाराणसी जिला अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद शामिल हुए. हरिद्वार (16 – 18 जून 2018) और प्रयाग (17 जनवरी 2019) की राष्ट्रिय पंचायतों में वाराणसी के किसानों की भागीदारी रही. धान की ख़रीद को सुचारू होने के लिए यूनियन के पदाधिकारियों की हुई बैठकों में लक्ष्मण प्रसाद की भागीदारी हुई. वाराणसी में साझा संस्कृति मंच की पहल पर आयोजित किसानों की स्थिति पर धरने में भागीदारी हुई.
- प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) के अवसर पर आश्रम के सामने स्थित चिंतन ढाबा पर बैठकर उनकी कहानी ‘मंत्र’ का पाठ हुआ। पाठ के बाद कहानी पर चर्चा हुई जिसमें सभी ने भाग लिया। कहानी के एक पात्र डा. चड्ढा आधुनिक विद्या का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो दूसरे मुख्य पात्र, भगत लोकविद्या का। डाक्टर साहब अपनी विद्या के दम्भ में संवेदना और कर्त्तव्य से बहुत दूर चले जाते हैं। दूसरी तरफ लोकविद्या के धनी भगत को तमाम कटु भावों के बीच किस तरह लोकविद्या नैतिक कर्त्तव्य की ओर खींच ले जाती है, इस संघर्ष को प्रेमचंद जी ने बखूबी इस कहानी में उकेरा है। कहानी के पाठ के पहले चिंतन ढाबा पर दो पेड़ों का पौधारोपण हुआ और लोकविद्या के बोल का गायन हुआ।
- सारनाथ में वनवासियों की एक बस्ती है जिसे विस्थापित करने का सरकारी आदेश है. 7 नवम्बर को वनवासियों की हुई सभा में लोकविद्या जन आन्दोलन ने पहल लेकर स्थानीय प्रशासन से वार्ता स्थापित की और इस बस्ती के लिए उपयुक्त स्थान दिलाने की अर्जी कर फ़िलहाल आदेश को रोकने का प्रयास किया है.
- अविरल और निर्मल गंगा के लिए सत्याग्रह में विद्या आश्रम ने पहल लेकर हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम में अविरल निर्मल गंगाजी के लिए तपस्या कर रहे स्वामी सानंद (प्रो.जी.डी.अग्रवाल) से मुलाकात की और उनके सत्याग्रह को समर्थन जाहिर किया और इस विषय पर अधिक चिंतन के लिए दर्शन वार्ता को चलाने की पहल लेने का तय किया. अगस्त में सुनील और चित्रा तथा अक्तूबर में लक्ष्मण और अन्य साथी स्वामी सानंद जी से मिले. वाराणसी में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक दिवसीय उपवास कर सत्याग्रह किया जिसमें विद्या आश्रम की भागीदारी हुई.
- मध्य प्रदेश में इंदौर के लोकविद्या समन्वय समूह ने एक लोकविद्या यात्रा की पहल की. माह जनवरी 19 में इंदौर से पुणे तक की इस यात्रा में एक किसान, एक कारीगर और एक कलाकार ने हिस्सा लिया और हर पड़ाव पर ज्ञान पंचायत आयोजित कर ‘लोकविद्या के बल पर जीने वाले सभी परिवारों को सरकारी कर्मचारी के बराबर, पक्की और नियमित आय हो’ इस बात को रखा.
- कारीगर ज्ञान पंचायत : 1 अगस्त को विद्या आश्रम के स्थापना दिवस पर आश्रम पर कारीगर ज्ञान पंचायत हुई. इस पंचायत में तीन प्रमुख वक्ताओं में फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, अनूप श्रमिक और राजेंद्र सिंह ने ‘कारीगर समाजों को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’ विषय पर अपना समर्थन जाहिर करते हुए इसके विविध शुभ परिणामों पर प्रकाश डाला. खुली चर्चा में कारीगरों ने इस मांग पर अपना समर्थन जाहिर किया और इस दिशा में विचार और कार्य को आगे बढाने की राय जाहिर की. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 2 अगस्त 2019.
- किसान ज्ञान पंचायत : 9 सितम्बर को विद्या आश्रम पर किसान ज्ञान पंचायत हुई. इस पंचायत में प्रमुख वक्ता के रूप में भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी मण्डल अध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी, पूर्वांचल किसान समिति के योगीराज पटेल और हमाल कामगार संघर्ष समिति, मऊ के अरविन्द मूर्ती आमंत्रित थे. विषय था ‘किसान-समाजों को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’. वाराणसी और आस-पास के किसान और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी में हुई. इस पंचायत ने इस मुद्दे पर एक ऐसी आय नीति बनाने और उसे सभी सरकारों द्वारा लागू करने की आवश्यकता को जाहिर किया जो इस दिशा में कारगर कदम उठाने की पहल लें. यह भी तय किया कि इस वर्ष की शरद पूर्णिमा को किसान कारीगर समाजों की एक पंचायत हो जिसमें ऐसी नीति बनाने पर रायशुमारी हो और पहल के कदम उठाये जा सके. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 21 सितम्बर 2019. गांवों और शहर की कारीगर बस्तियों में इस विषय पर ज्ञान पंचायतों का सिलसिला शुरू किया गया.
- स्वराज दर्शन : उपरोक्त दोनों पंचायतों के बाद यह महसूस किया गया कि लोकविद्या के बल पर जीविका कमाने वाले तमाम कारीगर, किसान, आदिवासी समाजों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में बेहतरी के लिए यह ज़रूरी हैं कि आय के सवाल के विभिन्न पक्षों जैसे, कानून, नीति, व्यवस्था, शिक्षा, ज्ञान, अर्थ, बाज़ार, दर्शन सभी पर विचार हो. यह एक तरह से स्वराज दर्शन पर विचार की बात है. इस दिशा में चिंतन कार्य हुआ. स्वराज विद्यापीठ, इलाहाबाद में 9 अगस्त को सप्ताह भर चलने वाले सालाना उत्सव के उद्घाटन में सुनीलजी को मुख्य वक्ता के लिए आमंत्रित किया जिसमें स्वराज दर्शन के विचार को प्रस्तुत किया गया.
- स्वराज ज्ञान पंचायत : शरद पूर्णिमा के दिन वाराणसी में गंगाजी के किनारे स्वराज ज्ञान पंचायत की घोषणा की गई. आय के सवाल से जुड़े विभिन्न पक्षों में से चार पक्षों पर विमर्श करना तय हुआ, ये हैं – दर्शन, नीति, व्यवस्था और कानून. इसकी तैयारी बैठक 9 सितम्बर 2019 को विद्या आश्रम पर हुई. इस पंचायत को सर्व सहमति से स्वराज ज्ञान पंचायत का नाम दिया गया. स्वराज ज्ञान पंचायत की आयोजन समिति का गठन हुआ. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 21 सितम्बर 2019. इस दौरान एक पुस्तिका के प्रकाशन की तैयारी भी की गई लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते यह पंचायत नहीं हो पाई.
- आन्ध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती स्थित अमरावती इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस ने सुनील जी को गांधीजी के शहादत के दिवस पर गाँधीजी के विचारों को विभिन्न सभाओं में प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था. लोकविद्या दर्शन और स्वराज दर्शन पर तीन अलग-अलग स्थानों पर सभाएं हुईं जिनमें क्रमशः अमरावती के एक डिग्री कालेज के विद्यार्थियों, नागार्जुन विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधकर्ताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच विस्तार से वार्ता हुई. तीनों सभाओं में सुनीलजी का प्रमुख भाषण रखा गया था. मूल स्थापना यह रही कि इस युग में गाँधी विचार सबसे तर्क संगत विचार है. इसे राजनीतिक, पर्यावर्णीय, दार्शनिक, सामाजिक इत्यादि सन्दर्भों में विस्तार से तर्कयुक्त तरीके से पेश किया गया. यह स्थापना की गई कि सामान्य जीवन और लोकविद्या में निहित तर्क इसी तरह के सत्यनिष्ठ व न्यायसंगत तर्क होते हैं.
- वाराणसी में गंगाजी के तट पर दर्शन अखाड़े की स्थापना हुई. 8 मार्च 2019 को इस अखाड़े का उद्घाटन हुआ और समाज में दर्शन वार्ता की आवश्यकता को सामने रखा. देखें लोजआ ब्लॉग पोस्ट 12 मार्च 2019. ‘काशी दर्शन के विविध अर्थ’ विषय पर 23 मार्च 2019 को दर्शन अखाड़े पर एक गोष्ठी रखी गई जिसमें शहर के वरिष्ठ विद्वान पत्रकार अमिताभ भट्टाचार्य का प्रमुख वक्तव्य रखा गया. अध्यक्षता श्री विश्वास चन्द्र ने की.
- प्रकाशन : अप्रैल-मई 2019 के लोकसभा चुनावों के समय कारीगर किसान पंचायत के नज़रिए को सामने लाने के लिए और इस दृष्टिकोण से देश का अजेंडा क्या होना चाहिए यह बहस में लाने के लिए मार्च और अप्रैल में ‘कारीगर नजरिया’ के अंक वाराणसी से प्रकाशित किये गए. लोकविद्या प्रपंचम (तेलुगु) के अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक कुल 10 अंक हैदराबाद से प्रकाशित हुए.
- आश्रम समिति की बैठक : हैदराबाद में 3 फरवरी 2019 को आई.आई.आई.टी., गाची बावली में विद्या आश्रम न्यास (आश्रम समिति) की बैठक की गई.
- इन्टरनेट : डा. अभिजित मित्रा के पास आश्रम के इन्टरनेट के कार्यों को सम्पादित करने की ज़िम्मेदारी है. उन्होंने विद्या आश्रम की वेब साइट www.vidyaashram.org का नवीन प्रारूप सबके सामने रखा और सर्व सहमति से वेब साईट का नवीनीकरण किया गया.
विद्या आश्रम (01 अगस्त 2018)
निमंत्रण
विद्या आश्रम के स्थापना दिवस के अवसर पर
कारीगर ज्ञान पंचायत
विषय : केवल श्रम ही नहीं, ज्ञान का भी मूल्य चाहिए
दिन : बुधवार, 1 अगस्त 2018
समय : दिन में 11 से 3 बजे तक
स्थान : विद्या आश्रम परिसर, सारनाथ
1 अगस्त 2004 को सारनाथ में विद्या आश्रम की स्थापना हुई थी. लोकविद्या विचार से प्रेरित इस आश्रम से किसान और कारीगर समाजों की शक्ति और पहल के स्रोतों को उजागर करने के प्रयास रहे हैं. आश्रम के स्थापना-दिवस के अवसर पर 1 अगस्त 2018 को दिन में 11 से 3 बजे तक कारीगर ज्ञान पंचायत का आयोजन है.
कार्यक्रम
- विषय प्रवेश : चित्रा सहस्रबुद्धे
- वक्ता : चौधरी राजेन्द्र, डा. अनूप श्रमिक, फज़लुर्रहमान अंसारी
- सबकी भागीदारी से विचार विमर्श
- पहल की दिशा में दो शब्द – सुनील सहस्रबुद्धे
- समापन : प्रेमलता सिंह
- सञ्चालन : लक्ष्मण प्रसाद
- जलपान
लोकविद्या सत्संग के साथ ज्ञान-पंचायत शुरू होगी.
निवेदक
कार्यक्रम आयोजन समिति – प्रेमलता सिंह, एहसान अली, प्रभावती देवी, फ़िरोज़ खान, मु. अलीम हाशमी, अंजू देवी, कमलेश, राजेंद्र मिस्त्री
Sunil Sahasrabudhey
Saturday, January 20, 2018
Lokavidya Vedike Office
Flat No. 102, 47-Sheshanivas, 1st Main, Thyagarajnagar, Basavanagudi, Bengaluru
Finalized on 10th April 2018
Members Present : J.K. Suresh, Amit Basole, GSR Krishnan, (Bengaluru), B. Krishnarajulu, T. Narayan Rao, Naresh Sharma (Hyderabad), Girish Sahasrabuddhe (Nagpur), Praval Singh, Premlata Singh, Vinod Kumar, Mohammad Aleem, Laxman Prasad, Chitra Sahasrabudhey, Sunil Sahasrabudhey (Varanasi).
Invited and Present : Sunil Chhabda (Valsad, Gujarat), Sanjeev Daji, Sumer Singh (Indore, Madhya Pradesh), M. Chokkalingam (Gram Seva Sangh, Bengaluru)
Chair : Sunil Sahasrabudhey
Agenda
# | Vidya Ashram Trust (Ashram Samiti) Meeting | Start Time | End Time | |
20th January 2018; Venue: Lokavidya Vedike Office, Bengaluru | ||||
Agenda | Choice 1 | |||
1 | Report by the Coordinator on action taken on the decisions of the previous Trust Meeting | 10:40 | 11:00 | |
2 | Overview of activities in last one year and projection for the coming year (from all Centers) | 11:00 | 13:00 | |
2.1 | Bengaluru | J.K. Suresh | ||
2.2 | Hyderabad | B. Krishnarajulu | ||
2.3 | Chirala | Mohan Rao | ||
2.4 | Nagpur | Girish | ||
2.5 | Singrauli | Awdhesh | ||
2.6 | Indore | Sanjeev | ||
2.7 | Varanasi | Lakshman Prasad | ||
2.8 | General | Chitra Sahasrabudhey | ||
Lunch Break: Interactions with Prasanna and Team | 14:30 | |||
3 | Future of Vidya Ashram | * Review of general national and international situation as the context of the functioning of Vidya Ashram. * Vidya Ashram thought, programs, place(s), management and all else that is relevant may be deliberated upon. * Whether we should like to make a committee to consider all this and place a proposal before the next Ashram Samiti meeting. |
15:30 | |
4 | Virtual Presence | Presence of Lokavidya Movement on the Internet. Those who are doing or propose to do anything related to this may come prepared. |
16:30 | |
5 | Finances | Financial situation, mobilization of finances and presentation of accounts. | 17:00 | |
6 | Any other matter | 17:30 |
Proceedings (portions in bold face relate to decisions)
The meeting took place at the place of Lokavidya Vedike in Thyagaraja Nagar, Basavangudi, Bengaluru. It was chaired by Sunil Sahasrabudhey, President, Vidya Ashram.
- The meeting opened with a reference to a line in the Lokavidya Satsang (booklet) which called for returns for the work of Lokavidya holders to be commensurate with that for university degree holders. This expanded into a discussion on what the modern education system actually does. Does it impart knowledge, or does it constitute a place for teaching new lifestyles and socialization in the context of the ways of the upper classes? This raised further questions about the employability of graduates – engineers and others – because, if the former is not the actual objective of education, it makes no sense to talk about employability and curse the education system or the so educated.
However, the question of incomes stayed at the center of this discussion, and it was agreed upon that Naresh Sharma from Hyderabad (with assistance from others) should study the entire question of income from various angles (and in particular, how value is assigned to labor, skills, knowledge and lifestyle in determining wages) and come up with a report that will help Lokavidya Jan Andolan take the income question further.
At this point, it was clarified that asking for equal incomes for Lokavidya for which government initiative appears to be a must is only one strand of the knowledge movement that Vidya Ashram has attempted to shape in the name of Lokavidya Jana Andolan. Other strands are of equal importance, namely organizing Gyan Panchayats, Lokavidya Bazaar and taking the dialogue further on Lokavidya Swaraj, Lokavidya Kala and Lokavidya Darshan, and attempting a new interactive discourse between various domains of knowledge with Lokavidya on an equal standing. This is a process that is capable of producing a better understanding of the new dynamics in the world of knowledge and therefore offers new possibilities for knowledge intervention in the interests of equity and Social Justice.
- The Ashram Samiti felt that in continuity with this discussion, it should take up the many points in item (3) of the agenda, namely the national and international situation and the future of the Vidya Ashram.
So the discussion moved to the question of what had changed since 2004 (the founding year of Vidya Ashram) that needs to be understood for us to move further today. Vidya Ashram was born and built itself in the context of social movements – Lokavidya Samaj movements against displacements, the farmers movement, World Social Forums, the European students movement, the Latin American movements in Bolivia, Ecuador and Venezuela, the international peasant moment (Via Campesina), various mobilizations against globalization across the world, Arab Spring, the anti-corruption movement in India, etc. All of these provided the spaces in which Vidya Ashram associates participated and debated by physical presence as well as online with a focus on the knowledge interface that was becoming more and more apparent day by day. The instability in the world of knowledge created by the emergence of internet had given the idea of Lokavidya a great opportunity to press for an equal and dignified place in the world of knowledge and therefore a corresponding place for the bearers of Lokavidya as well. We had constantly argued in these movements to shift the idiom of discourse to a more knowledge oriented terminology, but this met only with partial success. However, these conditions have drastically changed in the last 3-4 years. What we are witnessing today in place of social movements is a huge reaction (or response). There is a so-called Alt-Right wave across Europe, America, India and other places. There is an open clash between the proponents of this new wave and those who were at the helm of affairs earlier (that is post World War 2 for all these 70 + years). Among other things, this clash has raised fundamental questions pertaining to what truth is. The Alt-Right is charged with a position called Post-Truth which according to the old school is not truth because it is not based on evidence and reason and takes recourse to emotions and similar human dispositions.
As a knowledge movement, this development ought to interest us immensely. We would like to address the question of truth from a Lokavidya perspective and also expect to be heard in spite of (and also because of) the dichotomous melee that has emerged around the question of truth. We have the chance now for a politico-ontic construction and elaboration of the Lokavidya standpoint. This is perhaps where the seeds or the roots of a new political imagination lie. The Samiti was of the opinion that we should continue this discussion amongst us to develop ideas that can harmonize with LJA and take it forward. - At this point, the question came up of reorganization of Vidya Ashram to suit our current state and reflect the advanced understanding. A committee chaired by Krishnarajulu had earlier suggested a structure based on regional coordinators etc. with autonomous functioning. However, it was felt that restructuring from the point of view of the idea of distribution may be looked at again. This because distribution in the sense of being spread out and connected without anyone or anything having a domineering position seems to be the new shape that the world of knowledge is taking. This is similar to the idea of Swaraj at which we have been for some time and which may provide the basis for further reflections on the idea of truth in the Lokavidya perspective. This demands that Vidya Ashram itself should be an example of what a distributed structure should look like; it also calls for a serious debate amongst us on whether the idea of distribution constitutes a new focus for organizations in economics, politics, knowledge domains et cetera for the higher goals of equity and Social Justice. Naresh Sharma agreed to initiate discussion on this idea of distribution and come up with a proposal for reorganization of Vidya Ashram in collaboration with others.
- The meeting broke for lunch at this point and resumed with points (1) and (2) on the agenda. Chitraji reported on the happenings and some organisational problems faced last year at Vidya Ashram. Two main things were the passing away of Shri Rajit Singh and the misdeeds of Dilip Kumar which led to his posts being withdrawn. Members gave their suggestions on how the Sarnath campus should handle these issues.
- Rajit Babu had passed away in Varanasi in a road accident on 12th February 2017, after the Ashram Samiti meeting in Nagpur. He was remembered for his integrity and contribution to the building of Vidya Ashram by managing accounts and general affairs of the Ashram.
- It was suggested and agreed upon that Dilip may be asked to give his resignation from the membership of Vidya Ashram Trust.
- It was also decided that accounts may be handled by hiring more persons and spending whatever is required for that.
- Various members from different places talked about the initiatives and the activities in those places.
- Girish from Nagpur talked about the continued association with the farmers’ movement in Maharashtra. LJA Nagpur has been partly successful in impressing upon them the need for raising the question of peasant household income being commensurate with that of a government employee. In addition, a dialogue has been opened with Dalit leadership in Aurangabad during the Gyan Panchayat work that has been initiated there by Sanjeev.Krishnarajulu from Hyderabad spoke about the LJA Hyderabad Publications, the periodical Lokavidya Prapancham and the booklets on Lokavidya Bazaar and lokavidya Swaraj. These publications he said have given them new contacts in some district places. A team also visits rural bazaar location once a week for dialogue with people there.
- Laxman Prasad from Varanasi spoke about the various activities of Vidya Ashram and LJA at Varanasi and other places in UP and Bihar. These related to presence and participation in the activities of Bharatiya Kisan Union and organization of Kisan-Karigar Panchayat in October every year. There is regular participation in the meetings and activities of Sajha Sanskriti Manch, a platform of most of the social activists in Varanasi. There is also a place in a village Salarpur about 5 km from Sarnath which is a place identified as Varanasi Gyan Panchayat. The gatherings there are held in collaboration with Shoshit Samaj Dal. A new publication series has been started in Hindi in the name of ‘Swaraj Pustakmala’. The first booklet has the title ‘ Swadeshi Samaj aur Swadeshi Gyan’.
- Sanjeev from Indore talked about the developments there particularly those relating to Kala Gyan Panchayat. For regularly attending this process Lokavidya Samanvay Samooh has activated its office in Sudama Nagar. He also talked in some detail about the programs that are being worked out to be taken up in the village Paladi and the city of Indore. He invited members for Kala Gyan Panchayats to be held in these places on 10th March 2018. He asked members to come forward and extend support to have one or two persons working on a regular basis for LJA in Indore.
- Suresh talked about the Lokavidya Vedike initiative – the theoretical and practical activities that have been initiated in Bangalore under its aegis. He talked about the participation in the Zero-Tax Satyagraha for handmade products being organized under Gram Sewa Sangh (Prasanna’s) leadership and how this Satyagraha may be seen as a fraternal movement from the LJA standpoint. He invited the members to take greater interest in this initiative from Bangalore in terms of writing more and finding time to spend in Bangalore, perhaps 3 days at a stretch or for a week, to focus the discussion both on larger issues and concrete tasks.
- It was reported (and the Ashram Samiti agreed) that Abhijit Mitra has offered to take charge of the Vidya Ashram website.
- The financial situation was reported. . The audit report for the assessment year 2017-18 was placed on the table and passed. It was reported that the collection has gone down. There were no new ideas on the question of mobilization of finances. The matter needs to be paid serious attention.
The members attending the meeting were amply thankful to Suresh for the comfortable arrangements of lodging and boarding.
The meeting concluded with a word of appreciation for all those who have contributed in various ways, and continue to do so, in building and the progress of Vidya Ashram.
- Articles, Discussion Notes, Papers
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- Reports
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चित्रा सहस्रबुद्धे
इस वर्ष देश के किसान-समाज की बदहाल स्थिति और इसके प्रति सरकारों एवं राजनीतिक दलों की बेरुखी और गैर-जिम्मेदाराना रवैया राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना. विद्या आश्रम ने पहल लेकर किसान-समाज के साथ जगह-जगह आय के सवाल पर ज्ञान पंचायतें की. किसान-समाज के हर परिवार को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय मिले तभी यह समाज बदहाली से बाहर निकल सकता है, इस आवाज़ को बुलंद करने का लक्ष्य लोकविद्या जन आन्दोलन ने अपने सामने रखा. मार्च-अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के संदर्भ में इस वर्ष विद्या आश्रम ने सबको सरकारी कर्मचारी के बराबर आय और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर ‘स्वराज के विचार पर समाज में वार्ता और विमर्श’ को एक महत्वपूर्ण कार्य बनाया और ज्ञान पंचायतों में सामने लाने का कार्यक्रम बना. देखें लोजआ ब्लॉग 6 जुलाई 2018 विभिन्न स्थानों पर जाकर इन विषयों को रखा. नीचे कुछ प्रमुख गतिविधियों की चर्चा की गई है. अंत में फोटो संलग्न हैं.
- लोकविद्या जन आन्दोलन :
- मार्च 2018 में वाराणसी में हुए ‘अंग्रेजी हटाओ लोकभाषा बढाओ’ सम्मलेन की आयोजन समिति की बैठक 2 अप्रैल 2019 को विद्या आश्रम पर हुई. बैठक में सम्मलेन के बाद कार्य के लक्ष्य और नीति तय करने के बारे में बात हुई.
- उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रदेश के 5000 प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करने का ऐलान किया जिसके विरोध में शहर के सामाजिक संगठनों ने मिलकर वाराणसी के लहुरावीर चौराहे पर विरोध सभा की जिसमें लोकविद्या जन आन्दोलन की भागीदारी रही.
- 29 अप्रैल 2018 को ग्राम सलारपुर में वाराणसी ज्ञान पंचायत का आयोजन हुआ ‘जिसमें किसान और कारीगर समाजों के हर परिवार में सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’ के विषय पर किसानों और कारीगरों ने अपनी राय रखी. प्रति माह ये ज्ञान पंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया और इन्हें आयोजित किया गया. वर्ष के अंत में सलारपुर में वाराणसी ज्ञान पंचायत के स्थान पर स्थित जगदेव प्रसाद की मूर्ति स्थल का चबूतरा पक्का बनाने में सहयोग किया.
- विद्या आश्रम पर 17 जुलाई को भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय शिविर आयोजित हुआ. लगभग 150 किसानों की भागीदारी के साथ इस शिविर में प्रदेश के कई जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारी शामिल हुए. वर्ष भर भा.कि.यू. के अनेक कार्यक्रमों में विद्या आश्रम का सहयोग रहा और वाराणसी जिले के किसानों के साथ अनेक कार्यक्रमों में भागीदारी हुई. 8 अप्रैल को वाराणसी मण्डल इकाई की चंदौली में बैठक हुई जिसमें संगठन और कार्यनीति पर विचार हुआ. प्रदेश संगठन की लखनऊ बैठक में वाराणसी मण्डल की भागीदारी हुई. 25 जुलाई को गाँव महरखां, चंदौली में हुई किसान पंचायत में चंदौली भा.कि.यू. की जिला इकाई के लिए अध्यक्ष का चुनाव हुआ जिसमें वाराणसी जिला अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद शामिल हुए. हरिद्वार (16 – 18 जून 2018) और प्रयाग (17 जनवरी 2019) की राष्ट्रिय पंचायतों में वाराणसी के किसानों की भागीदारी रही. धान की ख़रीद को सुचारू होने के लिए यूनियन के पदाधिकारियों की हुई बैठकों में लक्ष्मण प्रसाद की भागीदारी हुई. वाराणसी में साझा संस्कृति मंच की पहल पर आयोजित किसानों की स्थिति पर धरने में भागीदारी हुई.
- प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) के अवसर पर आश्रम के सामने स्थित चिंतन ढाबा पर बैठकर उनकी कहानी ‘मंत्र’ का पाठ हुआ। पाठ के बाद कहानी पर चर्चा हुई जिसमें सभी ने भाग लिया। कहानी के एक पात्र डा. चड्ढा आधुनिक विद्या का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो दूसरे मुख्य पात्र, भगत लोकविद्या का। डाक्टर साहब अपनी विद्या के दम्भ में संवेदना और कर्त्तव्य से बहुत दूर चले जाते हैं। दूसरी तरफ लोकविद्या के धनी भगत को तमाम कटु भावों के बीच किस तरह लोकविद्या नैतिक कर्त्तव्य की ओर खींच ले जाती है, इस संघर्ष को प्रेमचंद जी ने बखूबी इस कहानी में उकेरा है। कहानी के पाठ के पहले चिंतन ढाबा पर दो पेड़ों का पौधारोपण हुआ और लोकविद्या के बोल का गायन हुआ।
- सारनाथ में वनवासियों की एक बस्ती है जिसे विस्थापित करने का सरकारी आदेश है. 7 नवम्बर को वनवासियों की हुई सभा में लोकविद्या जन आन्दोलन ने पहल लेकर स्थानीय प्रशासन से वार्ता स्थापित की और इस बस्ती के लिए उपयुक्त स्थान दिलाने की अर्जी कर फ़िलहाल आदेश को रोकने का प्रयास किया है.
- अविरल और निर्मल गंगा के लिए सत्याग्रह में विद्या आश्रम ने पहल लेकर हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम में अविरल निर्मल गंगाजी के लिए तपस्या कर रहे स्वामी सानंद (प्रो.जी.डी.अग्रवाल) से मुलाकात की और उनके सत्याग्रह को समर्थन जाहिर किया और इस विषय पर अधिक चिंतन के लिए दर्शन वार्ता को चलाने की पहल लेने का तय किया. अगस्त में सुनील और चित्रा तथा अक्तूबर में लक्ष्मण और अन्य साथी स्वामी सानंद जी से मिले. वाराणसी में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक दिवसीय उपवास कर सत्याग्रह किया जिसमें विद्या आश्रम की भागीदारी हुई.
- मध्य प्रदेश में इंदौर के लोकविद्या समन्वय समूह ने एक लोकविद्या यात्रा की पहल की. माह जनवरी 19 में इंदौर से पुणे तक की इस यात्रा में एक किसान, एक कारीगर और एक कलाकार ने हिस्सा लिया और हर पड़ाव पर ज्ञान पंचायत आयोजित कर ‘लोकविद्या के बल पर जीने वाले सभी परिवारों को सरकारी कर्मचारी के बराबर, पक्की और नियमित आय हो’ इस बात को रखा.
- कारीगर ज्ञान पंचायत : 1 अगस्त को विद्या आश्रम के स्थापना दिवस पर आश्रम पर कारीगर ज्ञान पंचायत हुई. इस पंचायत में तीन प्रमुख वक्ताओं में फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, अनूप श्रमिक और राजेंद्र सिंह ने ‘कारीगर समाजों को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’ विषय पर अपना समर्थन जाहिर करते हुए इसके विविध शुभ परिणामों पर प्रकाश डाला. खुली चर्चा में कारीगरों ने इस मांग पर अपना समर्थन जाहिर किया और इस दिशा में विचार और कार्य को आगे बढाने की राय जाहिर की. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 2 अगस्त 2019.
- किसान ज्ञान पंचायत : 9 सितम्बर को विद्या आश्रम पर किसान ज्ञान पंचायत हुई. इस पंचायत में प्रमुख वक्ता के रूप में भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी मण्डल अध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी, पूर्वांचल किसान समिति के योगीराज पटेल और हमाल कामगार संघर्ष समिति, मऊ के अरविन्द मूर्ती आमंत्रित थे. विषय था ‘किसान-समाजों को सरकारी कर्मचारी के जैसी पक्की और नियमित आय हो’. वाराणसी और आस-पास के किसान और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी में हुई. इस पंचायत ने इस मुद्दे पर एक ऐसी आय नीति बनाने और उसे सभी सरकारों द्वारा लागू करने की आवश्यकता को जाहिर किया जो इस दिशा में कारगर कदम उठाने की पहल लें. यह भी तय किया कि इस वर्ष की शरद पूर्णिमा को किसान कारीगर समाजों की एक पंचायत हो जिसमें ऐसी नीति बनाने पर रायशुमारी हो और पहल के कदम उठाये जा सके. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 21 सितम्बर 2019. गांवों और शहर की कारीगर बस्तियों में इस विषय पर ज्ञान पंचायतों का सिलसिला शुरू किया गया.
- स्वराज दर्शन : उपरोक्त दोनों पंचायतों के बाद यह महसूस किया गया कि लोकविद्या के बल पर जीविका कमाने वाले तमाम कारीगर, किसान, आदिवासी समाजों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में बेहतरी के लिए यह ज़रूरी हैं कि आय के सवाल के विभिन्न पक्षों जैसे, कानून, नीति, व्यवस्था, शिक्षा, ज्ञान, अर्थ, बाज़ार, दर्शन सभी पर विचार हो. यह एक तरह से स्वराज दर्शन पर विचार की बात है. इस दिशा में चिंतन कार्य हुआ. स्वराज विद्यापीठ, इलाहाबाद में 9 अगस्त को सप्ताह भर चलने वाले सालाना उत्सव के उद्घाटन में सुनीलजी को मुख्य वक्ता के लिए आमंत्रित किया जिसमें स्वराज दर्शन के विचार को प्रस्तुत किया गया.
- स्वराज ज्ञान पंचायत : शरद पूर्णिमा के दिन वाराणसी में गंगाजी के किनारे स्वराज ज्ञान पंचायत की घोषणा की गई. आय के सवाल से जुड़े विभिन्न पक्षों में से चार पक्षों पर विमर्श करना तय हुआ, ये हैं – दर्शन, नीति, व्यवस्था और कानून. इसकी तैयारी बैठक 9 सितम्बर 2019 को विद्या आश्रम पर हुई. इस पंचायत को सर्व सहमति से स्वराज ज्ञान पंचायत का नाम दिया गया. स्वराज ज्ञान पंचायत की आयोजन समिति का गठन हुआ. देखें लोजआ ब्लॉग रिपोर्ट 21 सितम्बर 2019. इस दौरान एक पुस्तिका के प्रकाशन की तैयारी भी की गई लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते यह पंचायत नहीं हो पाई.
- आन्ध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती स्थित अमरावती इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस ने सुनील जी को गांधीजी के शहादत के दिवस पर गाँधीजी के विचारों को विभिन्न सभाओं में प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था. लोकविद्या दर्शन और स्वराज दर्शन पर तीन अलग-अलग स्थानों पर सभाएं हुईं जिनमें क्रमशः अमरावती के एक डिग्री कालेज के विद्यार्थियों, नागार्जुन विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधकर्ताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच विस्तार से वार्ता हुई. तीनों सभाओं में सुनीलजी का प्रमुख भाषण रखा गया था. मूल स्थापना यह रही कि इस युग में गाँधी विचार सबसे तर्क संगत विचार है. इसे राजनीतिक, पर्यावर्णीय, दार्शनिक, सामाजिक इत्यादि सन्दर्भों में विस्तार से तर्कयुक्त तरीके से पेश किया गया. यह स्थापना की गई कि सामान्य जीवन और लोकविद्या में निहित तर्क इसी तरह के सत्यनिष्ठ व न्यायसंगत तर्क होते हैं.
- वाराणसी में गंगाजी के तट पर दर्शन अखाड़े की स्थापना हुई. 8 मार्च 2019 को इस अखाड़े का उद्घाटन हुआ और समाज में दर्शन वार्ता की आवश्यकता को सामने रखा. देखें लोजआ ब्लॉग पोस्ट 12 मार्च 2019. ‘काशी दर्शन के विविध अर्थ’ विषय पर 23 मार्च 2019 को दर्शन अखाड़े पर एक गोष्ठी रखी गई जिसमें शहर के वरिष्ठ विद्वान पत्रकार अमिताभ भट्टाचार्य का प्रमुख वक्तव्य रखा गया. अध्यक्षता श्री विश्वास चन्द्र ने की.
- प्रकाशन : अप्रैल-मई 2019 के लोकसभा चुनावों के समय कारीगर किसान पंचायत के नज़रिए को सामने लाने के लिए और इस दृष्टिकोण से देश का अजेंडा क्या होना चाहिए यह बहस में लाने के लिए मार्च और अप्रैल में ‘कारीगर नजरिया’ के अंक वाराणसी से प्रकाशित किये गए. लोकविद्या प्रपंचम (तेलुगु) के अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक कुल 10 अंक हैदराबाद से प्रकाशित हुए.
- आश्रम समिति की बैठक : हैदराबाद में 3 फरवरी 2019 को आई.आई.आई.टी., गाची बावली में विद्या आश्रम न्यास (आश्रम समिति) की बैठक की गई.
- इन्टरनेट : डा. अभिजित मित्रा के पास आश्रम के इन्टरनेट के कार्यों को सम्पादित करने की ज़िम्मेदारी है. उन्होंने विद्या आश्रम की वेब साइट www.vidyaashram.org का नवीन प्रारूप सबके सामने रखा और सर्व सहमति से वेब साईट का नवीनीकरण किया गया.
विद्या आश्रम (01 अगस्त 2018)
निमंत्रण
विद्या आश्रम के स्थापना दिवस के अवसर पर
कारीगर ज्ञान पंचायत
विषय : केवल श्रम ही नहीं, ज्ञान का भी मूल्य चाहिए
दिन : बुधवार, 1 अगस्त 2018
समय : दिन में 11 से 3 बजे तक
स्थान : विद्या आश्रम परिसर, सारनाथ
1 अगस्त 2004 को सारनाथ में विद्या आश्रम की स्थापना हुई थी. लोकविद्या विचार से प्रेरित इस आश्रम से किसान और कारीगर समाजों की शक्ति और पहल के स्रोतों को उजागर करने के प्रयास रहे हैं. आश्रम के स्थापना-दिवस के अवसर पर 1 अगस्त 2018 को दिन में 11 से 3 बजे तक कारीगर ज्ञान पंचायत का आयोजन है.
कार्यक्रम
- विषय प्रवेश : चित्रा सहस्रबुद्धे
- वक्ता : चौधरी राजेन्द्र, डा. अनूप श्रमिक, फज़लुर्रहमान अंसारी
- सबकी भागीदारी से विचार विमर्श
- पहल की दिशा में दो शब्द – सुनील सहस्रबुद्धे
- समापन : प्रेमलता सिंह
- सञ्चालन : लक्ष्मण प्रसाद
- जलपान
लोकविद्या सत्संग के साथ ज्ञान-पंचायत शुरू होगी.
निवेदक
कार्यक्रम आयोजन समिति – प्रेमलता सिंह, एहसान अली, प्रभावती देवी, फ़िरोज़ खान, मु. अलीम हाशमी, अंजू देवी, कमलेश, राजेंद्र मिस्त्री
Sunil Sahasrabudhey
Saturday, January 20, 2018
Lokavidya Vedike Office
Flat No. 102, 47-Sheshanivas, 1st Main, Thyagarajnagar, Basavanagudi, Bengaluru
Finalized on 10th April 2018
Members Present : J.K. Suresh, Amit Basole, GSR Krishnan, (Bengaluru), B. Krishnarajulu, T. Narayan Rao, Naresh Sharma (Hyderabad), Girish Sahasrabuddhe (Nagpur), Praval Singh, Premlata Singh, Vinod Kumar, Mohammad Aleem, Laxman Prasad, Chitra Sahasrabudhey, Sunil Sahasrabudhey (Varanasi).
Invited and Present : Sunil Chhabda (Valsad, Gujarat), Sanjeev Daji, Sumer Singh (Indore, Madhya Pradesh), M. Chokkalingam (Gram Seva Sangh, Bengaluru)
Chair : Sunil Sahasrabudhey
Agenda
# Vidya Ashram Trust (Ashram Samiti) Meeting Start Time End Time 20th January 2018; Venue: Lokavidya Vedike Office, Bengaluru Agenda Choice 1 1 Report by the Coordinator on action taken on the decisions of the previous Trust Meeting 10:40 11:00 2 Overview of activities in last one year and projection for the coming year (from all Centers) 11:00 13:00 2.1 Bengaluru J.K. Suresh 2.2 Hyderabad B. Krishnarajulu 2.3 Chirala Mohan Rao 2.4 Nagpur Girish 2.5 Singrauli Awdhesh 2.6 Indore Sanjeev 2.7 Varanasi Lakshman Prasad 2.8 General Chitra Sahasrabudhey Lunch Break: Interactions with Prasanna and Team 14:30 3 Future of Vidya Ashram * Review of general national and international situation as the context of the functioning of Vidya Ashram.
* Vidya Ashram thought, programs, place(s), management and all else that is relevant may be deliberated upon.
* Whether we should like to make a committee to consider all this and place a proposal before the next Ashram Samiti meeting.15:30 4 Virtual Presence Presence of Lokavidya Movement on the Internet.
Those who are doing or propose to do anything related to this may come prepared.16:30 5 Finances Financial situation, mobilization of finances and presentation of accounts. 17:00 6 Any other matter 17:30 Proceedings (portions in bold face relate to decisions)
The meeting took place at the place of Lokavidya Vedike in Thyagaraja Nagar, Basavangudi, Bengaluru. It was chaired by Sunil Sahasrabudhey, President, Vidya Ashram.
- The meeting opened with a reference to a line in the Lokavidya Satsang (booklet) which called for returns for the work of Lokavidya holders to be commensurate with that for university degree holders. This expanded into a discussion on what the modern education system actually does. Does it impart knowledge, or does it constitute a place for teaching new lifestyles and socialization in the context of the ways of the upper classes? This raised further questions about the employability of graduates – engineers and others – because, if the former is not the actual objective of education, it makes no sense to talk about employability and curse the education system or the so educated.
However, the question of incomes stayed at the center of this discussion, and it was agreed upon that Naresh Sharma from Hyderabad (with assistance from others) should study the entire question of income from various angles (and in particular, how value is assigned to labor, skills, knowledge and lifestyle in determining wages) and come up with a report that will help Lokavidya Jan Andolan take the income question further.
At this point, it was clarified that asking for equal incomes for Lokavidya for which government initiative appears to be a must is only one strand of the knowledge movement that Vidya Ashram has attempted to shape in the name of Lokavidya Jana Andolan. Other strands are of equal importance, namely organizing Gyan Panchayats, Lokavidya Bazaar and taking the dialogue further on Lokavidya Swaraj, Lokavidya Kala and Lokavidya Darshan, and attempting a new interactive discourse between various domains of knowledge with Lokavidya on an equal standing. This is a process that is capable of producing a better understanding of the new dynamics in the world of knowledge and therefore offers new possibilities for knowledge intervention in the interests of equity and Social Justice.
- The Ashram Samiti felt that in continuity with this discussion, it should take up the many points in item (3) of the agenda, namely the national and international situation and the future of the Vidya Ashram.
So the discussion moved to the question of what had changed since 2004 (the founding year of Vidya Ashram) that needs to be understood for us to move further today. Vidya Ashram was born and built itself in the context of social movements – Lokavidya Samaj movements against displacements, the farmers movement, World Social Forums, the European students movement, the Latin American movements in Bolivia, Ecuador and Venezuela, the international peasant moment (Via Campesina), various mobilizations against globalization across the world, Arab Spring, the anti-corruption movement in India, etc. All of these provided the spaces in which Vidya Ashram associates participated and debated by physical presence as well as online with a focus on the knowledge interface that was becoming more and more apparent day by day. The instability in the world of knowledge created by the emergence of internet had given the idea of Lokavidya a great opportunity to press for an equal and dignified place in the world of knowledge and therefore a corresponding place for the bearers of Lokavidya as well. We had constantly argued in these movements to shift the idiom of discourse to a more knowledge oriented terminology, but this met only with partial success. However, these conditions have drastically changed in the last 3-4 years. What we are witnessing today in place of social movements is a huge reaction (or response). There is a so-called Alt-Right wave across Europe, America, India and other places. There is an open clash between the proponents of this new wave and those who were at the helm of affairs earlier (that is post World War 2 for all these 70 + years). Among other things, this clash has raised fundamental questions pertaining to what truth is. The Alt-Right is charged with a position called Post-Truth which according to the old school is not truth because it is not based on evidence and reason and takes recourse to emotions and similar human dispositions.
As a knowledge movement, this development ought to interest us immensely. We would like to address the question of truth from a Lokavidya perspective and also expect to be heard in spite of (and also because of) the dichotomous melee that has emerged around the question of truth. We have the chance now for a politico-ontic construction and elaboration of the Lokavidya standpoint. This is perhaps where the seeds or the roots of a new political imagination lie. The Samiti was of the opinion that we should continue this discussion amongst us to develop ideas that can harmonize with LJA and take it forward. - At this point, the question came up of reorganization of Vidya Ashram to suit our current state and reflect the advanced understanding. A committee chaired by Krishnarajulu had earlier suggested a structure based on regional coordinators etc. with autonomous functioning. However, it was felt that restructuring from the point of view of the idea of distribution may be looked at again. This because distribution in the sense of being spread out and connected without anyone or anything having a domineering position seems to be the new shape that the world of knowledge is taking. This is similar to the idea of Swaraj at which we have been for some time and which may provide the basis for further reflections on the idea of truth in the Lokavidya perspective. This demands that Vidya Ashram itself should be an example of what a distributed structure should look like; it also calls for a serious debate amongst us on whether the idea of distribution constitutes a new focus for organizations in economics, politics, knowledge domains et cetera for the higher goals of equity and Social Justice. Naresh Sharma agreed to initiate discussion on this idea of distribution and come up with a proposal for reorganization of Vidya Ashram in collaboration with others.
- The meeting broke for lunch at this point and resumed with points (1) and (2) on the agenda. Chitraji reported on the happenings and some organisational problems faced last year at Vidya Ashram. Two main things were the passing away of Shri Rajit Singh and the misdeeds of Dilip Kumar which led to his posts being withdrawn. Members gave their suggestions on how the Sarnath campus should handle these issues.
- Rajit Babu had passed away in Varanasi in a road accident on 12th February 2017, after the Ashram Samiti meeting in Nagpur. He was remembered for his integrity and contribution to the building of Vidya Ashram by managing accounts and general affairs of the Ashram.
- It was suggested and agreed upon that Dilip may be asked to give his resignation from the membership of Vidya Ashram Trust.
- It was also decided that accounts may be handled by hiring more persons and spending whatever is required for that.
- Various members from different places talked about the initiatives and the activities in those places.
- Girish from Nagpur talked about the continued association with the farmers’ movement in Maharashtra. LJA Nagpur has been partly successful in impressing upon them the need for raising the question of peasant household income being commensurate with that of a government employee. In addition, a dialogue has been opened with Dalit leadership in Aurangabad during the Gyan Panchayat work that has been initiated there by Sanjeev.Krishnarajulu from Hyderabad spoke about the LJA Hyderabad Publications, the periodical Lokavidya Prapancham and the booklets on Lokavidya Bazaar and lokavidya Swaraj. These publications he said have given them new contacts in some district places. A team also visits rural bazaar location once a week for dialogue with people there.
- Laxman Prasad from Varanasi spoke about the various activities of Vidya Ashram and LJA at Varanasi and other places in UP and Bihar. These related to presence and participation in the activities of Bharatiya Kisan Union and organization of Kisan-Karigar Panchayat in October every year. There is regular participation in the meetings and activities of Sajha Sanskriti Manch, a platform of most of the social activists in Varanasi. There is also a place in a village Salarpur about 5 km from Sarnath which is a place identified as Varanasi Gyan Panchayat. The gatherings there are held in collaboration with Shoshit Samaj Dal. A new publication series has been started in Hindi in the name of ‘Swaraj Pustakmala’. The first booklet has the title ‘ Swadeshi Samaj aur Swadeshi Gyan’.
- Sanjeev from Indore talked about the developments there particularly those relating to Kala Gyan Panchayat. For regularly attending this process Lokavidya Samanvay Samooh has activated its office in Sudama Nagar. He also talked in some detail about the programs that are being worked out to be taken up in the village Paladi and the city of Indore. He invited members for Kala Gyan Panchayats to be held in these places on 10th March 2018. He asked members to come forward and extend support to have one or two persons working on a regular basis for LJA in Indore.
- Suresh talked about the Lokavidya Vedike initiative – the theoretical and practical activities that have been initiated in Bangalore under its aegis. He talked about the participation in the Zero-Tax Satyagraha for handmade products being organized under Gram Sewa Sangh (Prasanna’s) leadership and how this Satyagraha may be seen as a fraternal movement from the LJA standpoint. He invited the members to take greater interest in this initiative from Bangalore in terms of writing more and finding time to spend in Bangalore, perhaps 3 days at a stretch or for a week, to focus the discussion both on larger issues and concrete tasks.
- It was reported (and the Ashram Samiti agreed) that Abhijit Mitra has offered to take charge of the Vidya Ashram website.
- The financial situation was reported. . The audit report for the assessment year 2017-18 was placed on the table and passed. It was reported that the collection has gone down. There were no new ideas on the question of mobilization of finances. The matter needs to be paid serious attention.
The members attending the meeting were amply thankful to Suresh for the comfortable arrangements of lodging and boarding.
The meeting concluded with a word of appreciation for all those who have contributed in various ways, and continue to do so, in building and the progress of Vidya Ashram.