बहुजन ज्ञान विमर्श
विद्या आश्रम पर शनिवार 3 मई 2025 की बैठक
-लक्ष्मण प्रसाद
बैठक बहुजन ज्ञान विमर्श की शनिवार 26 अप्रैल 2025 की बैठक नहीं हो पाई अतः आज की बैठक में उस दिन के लिए तय मुद्दों पर भी बात हुई और निम्नलिखित बिंदुओं पर सर्व सहमति से निर्णय लिए गए.
- शोध कार्य के तहत शोधकर्ताओं के लिए मई माह के लक्ष्य
- अपने-अपने विषय से सम्बंधित साहित्य की सूची तैयार करना.
- अपने-अपने विषय से सम्बंधित वाराणसी और आस-पास के जानकार और विचारक लोगों से मिलना और उनकी सूची बनाना .
- प्रत्येक शनिवार की बैठक में अपने विषय से सम्बंधित जानकारियों को अपने रजिस्टर में दर्ज कर उसे प्रस्तुत करना.
इन सभी कार्यों में अपने सलाहकारों से मदद लेंगे.
- आश्रम में पुस्तकालय में बैठ कर पढने, लिखने और आपस में वार्ता के दिन
- लक्ष्मण प्रसाद : सोमवार, मंगलवार और बुधवार शाम 5 बजे से 7 बजे तक
- रामजनम : सोमवार गुरूवार शाम 5 बजे से 7 बजे तक
- फ़ज़लुर्रहमान अंसारी: बुधवार शाम 5 बजे से 7 बजे तक
- कमलेश कुमार : सोमवार और शुक्रवार शाम 5 बजे से 7 बजे तक
- शनिवार की बैठक की रपट लिखने की ज़िम्मेदारी बारी-बारी से सभी शोध कार्यकर्ताओं पर हो.
- बैठक में शोध कार्यक्रम में दिए गए विषयों की प्रस्तुति हुई।
फजलुर्रहमान अंसारी ने शोध कार्यक्रम के लिए संदर्भ पुस्तक अशार-ए-बनारस जो कि मौलाना अब्दुल सलाम द्वारा लिखी गई है और दूसरी पुस्तक मिजाजए-बनारस जो की बसंती रमन द्वारा लिखी गई का जिक्र किया। इन पुस्तकों से बुनकर समाज में शोध करने में काफी मदद मिलेगी। संदर्भ व्यक्ति में अमान अख्तर , डॉक्टर मो.आरिफ और इदरीश अंसारी तीनों सामाजिक कार्यकर्ता का नाम वार्ता के लिए रखा।
लक्ष्मण प्रसाद ने पूर्वांचल के संत महात्मा नामक पुस्तक का अध्ययन किया। इस पुस्तक में पवहारी बाबा, मोनी बाबा, देवरहा बाबा इत्यादि अनेक संतों के बारे में लिखा गया है, किंतु सभी संतो के बारे में चमत्कार का ही वर्णन अधिक किया गया है. उनके मौलिक विचार ,उपदेश, कार्य, दर्शन इत्यादि का वर्णन नहीं है।
इस समय संत दादू दयाल पुस्तक का अध्ययन जारी है। इस पुस्तक में जातियों के भेदभाव को समाप्त करने, हिंदू मुस्लिम एकता इत्यादि के बहुतेरे उपदेश लिखे हुए हैं। ये निर्गुण पंथ के संत थे। संत कबीर की भांति सरल- सहज अंदाज में जीने का इनका दर्शन है। इनके बारे में अध्ययन जारी है।
कमलेश कुमार महाराजा सुहेलदेव पर पुस्तक का अध्ययन कर रहे हैं। संदर्भ व्यक्तियों में राहुल राजभर और डा. रामखेलावन राजभर से संपर्क का कार्यक्रम हो चुका है। उन लोगों ने कुछ पुस्तकों का संदर्भ भी दिया है।
रामजनम ने अपने शोध कार्य के संदर्भ में डॉक्टर रामखेलावन राजभर जी से संपर्क किया। इन्होंने भर या राजभर साम्राज्य लेखक मंगल राजभर शोध प्रकाशन संस्थान मुंबई द्वारा प्रकाशित पुस्तक का संदर्भ दिया। इसके अलावा कुछ अन्य पुस्तकों का भी उन्होंने जिक्र किया। डा. रामखेलावन राजभर ने कहा कि बहुजन समाज को संविधान निर्माण के समय से ही पिछड़ा कहा जाने लगा। उन्होंने बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय को खिलजी ने नहीं बल्कि ब्राह्मणों ने जलाया। बनारस शहर का नाम राजा बनार के नाम पर पड़ा जो राजभर जाति के थे। उन्होंने यह बताया कि महाराजा सुहेलदेव के भाई का राज्य भी बनारस में हुआ करता था। रामजनम जी ने ऐसे शोध से संदर्भित व्यक्तियों पुस्तकों की एक सूची बनाई है।
निम्नलिखित व्यक्तियों की सूची भी बने गई जिनसे मिलकर अधि जानकारी एकत्र होगी।
- प्रोफेसर प्रवीण यदुवंशी गाजीपुर बलिया।
- लोटन राम निषाद गाज़ीपुर राहुल राजभर वाराणसी।
- सुभाष चंद्र कुशवाहा देवरिया।
- रामजी यादव वाराणसी।
- राजेंद्र यादव सासाराम बिहार।
- योगेंद्र नारायण शर्मा पत्रकार वाराणसी।
- रणधीर सिंह, शिक्षक।
- प्रोफेसर कुलदीप मीणा इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
- खराबन राम का बेटा।
आज की बैठक में राम जी यादव द्वारा रखे गए प्रस्ताव की चर्चा हुई।उन्होंने प्रस्ताव रखा था की विद्या आश्रम परिसर में कुछ अच्छे सामाजिक फिल्म की प्रस्तुति की जाएगी, जिसमें 100-50 लोग उन फिल्मों को देखेंगे, और ये फ़िल्में प्रेरणादायी होंगी। इस प्रस्ताव पर सबकी आम सहमति बनी।