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Every human being is knowledgeable.

All knowledge starts with Lokavidya and must return to Lokavidya.

Knowledge that does not return to Lokavidya turns against humanity.

The Idea

We believe that a radical intervention in the world of knowledge is a necessary condition for a radical transformation of society. This belief has deepened since the appearance of the internet. … More

Standpoint

Unconditional knowledge and unconditional life is lokavidya and ordinary life. Lokavidya is the knowledge with the people which changes with their experience, needs, change … More

The Journey

The development of the concept of lokavidya and generally the focus on vidya in socially and politically significant aspects of life dates back to 1995. It owes its genesis to the thought … More

हर मनुष्य ज्ञानी है.

सारा ज्ञान लोकविद्या से शुरू होता है और लोकविद्या में ही वापस लौटता है.

जो ज्ञान लोकविद्या में वापस नहीं लौटता वह मनुष्य और मानवता के विरोध में खडा होता है.

मान्यता

हमारी यह मान्यता है कि आज समाज में मौलिक परिवर्तन बगैर ज्ञान की दुनिया में मौलिक दखल बनाए संभव नहीं है.
इंटरनेट के आने और इसके साथ ज्ञान की दुनिया में उठे भूचाल के बाद हमारी यह मान्यता और गहरी हो गई है. ज्ञान के मायावी जाल … More

दृष्टिकोण

हर शर्त से मुक्त ज्ञान ही लोकविद्या है, और हर शर्त से मुक्त जीवन ही सामान्य जीवन है.
लोकविद्या लोगों के पास का वह ज्ञान है जो उनके अनुभव, जरुरत, नैतिक और सौंदर्य-बोधक सन्दर्भ इत्यादि के साथ बदलता रहता है. इस ज्ञान में उनके … More

यात्रा

लोकविद्या विचार देश के बहुजन समाजों की आकाँक्षाओं और आन्दोलनों, विशेषत: नए किसान आन्दोलनों से जन्मा है. 1980 के दशक से विद्या को केंद्र में रखकर जीवन के सामाजिक, राजनीतिक आदि पक्षों पर विचार शुरू हुआ और  … More

ज्ञान हा माणसाचा जन्मसिद्ध गुण आहे.

सर्वच ज्ञान लोकविद्येतून प्रसवते आणि लोकविद्येतच परतते.

जे ज्ञान लोकविद्येत परतत नाही ते मनुष्य जाती विरुद्ध उभे ठाकते.

मान्यता

आज समाज मूलभूत बदल घडवून आणण्यासाठी  ज्ञानाच्या जगात मौलिक हस्तक्षेप आवश्यक आहे असे आम्ही मानतो.
इंटरनेट चे आगमन आणि याबरोबर ज्ञान-क्षेत्रात आलेल्या धरणीकंपानंतर आमचा हा समाज अधिक दृढ झाला आहे. ज्ञानाची मायावी जाळी (वर्चुअल नेटवर्क्स) पसरली  … More

दृष्टिकोन

लोकविद्या असे ज्ञान आहे ज्याला कुठलीही अट नाही, आणि सामान्य जीवन असे जीवन आहे ज्याची कुठलीही अट नाही.
लोकांकडे असलेले, त्यांचे अनुभव, गरजा, नैतिक संदर्भ, सौंदर्य-बोधाचे संदर्भ इत्यादीशी सुसंगत राहात बदलत जाणारे द्यान म्हणजे लोकविद्या. लोकांत रूढ  … More

वाटचाल

देशातील बहुजन समाजाच्या आशा-आकांक्षा आणि आंदोलने, व विशेष करून नवीन शेतकरी आंदोलन यांपासून प्रेरणा घेत लोकविद्या विचार जन्माला आला. 1980 च्या दशकापासून ‘ज्ञान’ मध्यवर्ती मानून जीवनाच्या सामाजिक, राजकीय बाजूंवर वैचारिक मंथन सुरू केले.  … More

English

Every human being is knowledgeable.

All knowledge starts with Lokavidya and must return to Lokavidya.

Knowledge that does not return to Lokavidya turns against humanity.

The Idea

We believe that a radical intervention in the world of knowledge is a necessary condition for a radical transformation of society. This belief has deepened since the appearance of the internet. … More

Standpoint

Unconditional knowledge and unconditional life is lokavidya and ordinary life. Lokavidya is the knowledge with the people which changes with their experience, needs, change … More

The Journey

The development of the concept of lokavidya and generally the focus on vidya in socially and politically significant aspects of life dates back to 1995. It owes its genesis to the thought … More

हिन्दी

हर मनुष्य ज्ञानी है.

सारा ज्ञान लोकविद्या से शुरू होता है और लोकविद्या में ही वापस लौटता है.

जो ज्ञान लोकविद्या में वापस नहीं लौटता वह मनुष्य और मानवता के विरोध में खडा होता है.

मान्यता

हमारी यह मान्यता है कि आज समाज में मौलिक परिवर्तन बगैर ज्ञान की दुनिया में मौलिक दखल बनाए संभव नहीं है.
इंटरनेट के आने और इसके साथ ज्ञान की दुनिया में उठे भूचाल के बाद हमारी यह मान्यता और गहरी हो गई है. ज्ञान के मायावी जाल … More

दृष्टिकोण

हर शर्त से मुक्त ज्ञान ही लोकविद्या है, और हर शर्त से मुक्त जीवन ही सामान्य जीवन है.
लोकविद्या लोगों के पास का वह ज्ञान है जो उनके अनुभव, जरुरत, नैतिक और सौंदर्य-बोधक सन्दर्भ इत्यादि के साथ बदलता रहता है. इस ज्ञान में उनके … More

यात्रा

लोकविद्या विचार देश के बहुजन समाजों की आकाँक्षाओं और आन्दोलनों, विशेषत: नए किसान आन्दोलनों से जन्मा है. 1980 के दशक से विद्या को केंद्र में रखकर जीवन के सामाजिक, राजनीतिक आदि पक्षों पर विचार शुरू हुआ और  … More

मराठी

ज्ञान हा माणसाचा जन्मसिद्ध गुण आहे.

सर्वच ज्ञान लोकविद्येतून प्रसवते आणि लोकविद्येतच परतते.

जे ज्ञान लोकविद्येत परतत नाही ते मनुष्य जाती विरुद्ध उभे ठाकते.

मान्यता

आज समाज मूलभूत बदल घडवून आणण्यासाठी  ज्ञानाच्या जगात मौलिक हस्तक्षेप आवश्यक आहे असे आम्ही मानतो.
इंटरनेट चे आगमन आणि याबरोबर ज्ञान-क्षेत्रात आलेल्या धरणीकंपानंतर आमचा हा समाज अधिक दृढ झाला आहे. ज्ञानाची मायावी जाळी (वर्चुअल नेटवर्क्स) पसरली  … More

दृष्टिकोन

लोकविद्या असे ज्ञान आहे ज्याला कुठलीही अट नाही, आणि सामान्य जीवन असे जीवन आहे ज्याची कुठलीही अट नाही.
लोकांकडे असलेले, त्यांचे अनुभव, गरजा, नैतिक संदर्भ, सौंदर्य-बोधाचे संदर्भ इत्यादीशी सुसंगत राहात बदलत जाणारे द्यान म्हणजे लोकविद्या. लोकांत रूढ  … More

वाटचाल

देशातील बहुजन समाजाच्या आशा-आकांक्षा आणि आंदोलने, व विशेष करून नवीन शेतकरी आंदोलन यांपासून प्रेरणा घेत लोकविद्या विचार जन्माला आला. 1980 च्या दशकापासून ‘ज्ञान’ मध्यवर्ती मानून जीवनाच्या सामाजिक, राजकीय बाजूंवर वैचारिक मंथन सुरू केले.  … More

SWARAJ GYAN PANCHAYAT

Toward a new political dialogue

Great changes have taken place in the workings of the world order since around 1990. The conditions for this change were created by global events such as the break-up of the Soviet Union, the expanding influence of globalization, and the exponential growth of information and communication technologies. Right since the use of entirely new strategies and techniques in the Second Gulf War, capitalism and imperialism have managed to achieve ever growing loot and exploitation of large populations of the world. New ways of thought have evolved to provide theoretical basis to justify the systems of exploitation. The ICTs, new systems of governance and control, and the global market are in sync to sustain and strengthen the system. … Read more

Swaraj Gyan Panchayat (02 Aug 2022) Hindi Report

स्वराज ज्ञान पंचायत

एक नये राजनीतिक विमर्श की ओर

1990 के आस-पास से सोवियत यूनियन के टूटने, वैश्वीकरण के विस्तार पाने, सूचना (इंटरनेट) उद्योग के दिन दूना रात चौगुना आगे बढ़ने तथा दूसरे खाड़ी युद्ध के साथ युद्ध क्षेत्र में सर्वथा नए तौर तरीकों के विकसित होने से शुरू होकर आज तक पूँजीवाद और साम्राज्यवाद ने नई-नई वैचारिक स्थापनाओं, नई संपर्क-सूचना प्रौद्योगिकी और नई राज्य व्यवस्थाओं व वैश्विक बाजार के जरिये लूट और शोषण में बड़ी बढ़ोत्तरी की है. प्रचलित लोकतांत्रिक, समाजवादी और सांप्रदायिक व्यवस्थाओं सभी ने इसी प्रक्रिया में ज़ोर भरा है. यूरोप से उपजी परिवर्तन की विचारधाराएं इस प्रक्रिया से मुकाबला करने में सर्वथा नाकामयाब रही हैं, सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों स्तरों पर. इसका मतलब यह है कि शोषण के जाल से मुकाबले की दिक्कतों को केवल सांगठनिक स्तर पर नहीं समझा जा सकता बल्कि यह एक नए विमर्श की मांग कर रहा है.

हाल ही में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय राजनीति … आगे पढ़ें

स्वराज ज्ञान पंचायत (2 अगस्त 2022) रपट

स्वराज ज्ञान-पंचायत

एका नवीन राजकीय संवादा साठी

एकोणीसशे नव्वद नंतर च्या तीन दशकांत जगात फार मोठे बदल घडून आले. यांसाठी पोषक अशी पार्श्वभूमी तयार होण्यात सोवियत यूनियन चे विघटन, जागतिकीकरणाचा वाढता व्याप आणि संगणक व संचार तंत्रज्ञानात घडून आलेले अभूतपूर्व बदल या बाबींचा वाटा निर्णायक मानायला हवा. दुसऱ्या खाडी युद्धात अगदीच नवीन तंत्र आणि डावपेचांचा वापर केला गेला. त्यानंतर भांडवलशाही व साम्राज्यवाद यांकरवी जगातील मोठ्या जनसंख्येच्या आधीपासूनच होत असलेल्या लुटीत प्रचंड वाढ साध्य करणाऱ्या प्रक्रिया सुरू झाल्या आहेत. या सोबतच या वाढीव लुटीचे ही समर्थन करायला नवनवीन वैचारिक व्यवस्था अस्तित्वात आल्या आहेत. इंटरनेट व संचार प्रणाली, शासन आणि नियंत्रणाच्या आधुनिक व्यवस्था आणि जागतिक बाजारपेठ हे या सर्व प्रक्रियांत एकमेकाला सहायक आणि पूरक ठरले आहेत.
प्रभावी चलनात असलेल्या सर्वच विचार-प्रणाली व राजकीय व्यवस्थांकरवी – मग त्या लोकशाही असोत, का समाजवादी, अगर सम्प्रदायवादी – … पुढे वाचा

स्वराज ज्ञान पंचायत (2 ऑगस्ट 2022) हिंदी अहवाल

English

SWARAJ GYAN PANCHAYAT

Toward a new political dialogue

Great changes have taken place in the workings of the world order since around 1990. The conditions for this change were created by global events such as the break-up of the Soviet Union, the expanding influence of globalization, and the exponential growth of information and communication technologies. Right since the use of entirely new strategies and techniques in the Second Gulf War, capitalism and imperialism have managed to achieve ever growing loot and exploitation of large populations of the world. New ways of thought have evolved to provide theoretical basis to justify the systems of exploitation. The ICTs, new systems of governance and control, and the global market are in sync to sustain and strengthen the system. … Read more

Swaraj Gyan Panchayat (02 Aug 2022) Hindi Report

हिन्दी

स्वराज ज्ञान पंचायत

एक नये राजनीतिक विमर्श की ओर

1990 के आस-पास से सोवियत यूनियन के टूटने, वैश्वीकरण के विस्तार पाने, सूचना (इंटरनेट) उद्योग के दिन दूना रात चौगुना आगे बढ़ने तथा दूसरे खाड़ी युद्ध के साथ युद्ध क्षेत्र में सर्वथा नए तौर तरीकों के विकसित होने से शुरू होकर आज तक पूँजीवाद और साम्राज्यवाद ने नई-नई वैचारिक स्थापनाओं, नई संपर्क-सूचना प्रौद्योगिकी और नई राज्य व्यवस्थाओं व वैश्विक बाजार के जरिये लूट और शोषण में बड़ी बढ़ोत्तरी की है. प्रचलित लोकतांत्रिक, समाजवादी और सांप्रदायिक व्यवस्थाओं सभी ने इसी प्रक्रिया में ज़ोर भरा है. यूरोप से उपजी परिवर्तन की विचारधाराएं इस प्रक्रिया से मुकाबला करने में सर्वथा नाकामयाब रही हैं, सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों स्तरों पर. इसका मतलब यह है कि शोषण के जाल से मुकाबले की दिक्कतों को केवल सांगठनिक स्तर पर नहीं समझा जा सकता बल्कि यह एक नए विमर्श की मांग कर रहा है.

हाल ही में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय राजनीति … आगे पढ़ें

स्वराज ज्ञान पंचायत (2 अगस्त 2022) रपट

मराठी

स्वराज ज्ञान-पंचायत

एका नवीन राजकीय संवादा साठी

एकोणीसशे नव्वद नंतर च्या तीन दशकांत जगात फार मोठे बदल घडून आले. यांसाठी पोषक अशी पार्श्वभूमी तयार होण्यात सोवियत यूनियन चे विघटन, जागतिकीकरणाचा वाढता व्याप आणि संगणक व संचार तंत्रज्ञानात घडून आलेले अभूतपूर्व बदल या बाबींचा वाटा निर्णायक मानायला हवा. दुसऱ्या खाडी युद्धात अगदीच नवीन तंत्र आणि डावपेचांचा वापर केला गेला. त्यानंतर भांडवलशाही व साम्राज्यवाद यांकरवी जगातील मोठ्या जनसंख्येच्या आधीपासूनच होत असलेल्या लुटीत प्रचंड वाढ साध्य करणाऱ्या प्रक्रिया सुरू झाल्या आहेत. या सोबतच या वाढीव लुटीचे ही समर्थन करायला नवनवीन वैचारिक व्यवस्था अस्तित्वात आल्या आहेत. इंटरनेट व संचार प्रणाली, शासन आणि नियंत्रणाच्या आधुनिक व्यवस्था आणि जागतिक बाजारपेठ हे या सर्व प्रक्रियांत एकमेकाला सहायक आणि पूरक ठरले आहेत.
प्रभावी चलनात असलेल्या सर्वच विचार-प्रणाली व राजकीय व्यवस्थांकरवी – मग त्या लोकशाही असोत, का समाजवादी, अगर सम्प्रदायवादी – … पुढे वाचा

स्वराज ज्ञान पंचायत (2 ऑगस्ट 2022) हिंदी अहवाल

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